Skip to content

लखीमपुर मामला: आशीष मिश्रा की जमानत को मारे गए किसानों के परिवार ने SC में दी चुनौती

नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी में गाड़ी से कुचलकर किसानों की हत्या मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है. इस घटना में 8 लोगों की मौत हो गई थी.

वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल की

आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा है. वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल की है. उन्होंने याचिका में कहा, हाई कोर्ट ने ज़मानत देते समय अपराध की गंभीरता पर ध्यान नहीं दिया.

चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा, 60 लाख का जुर्माना

राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील करनी चाहिए थी, पर उसने ऐसा नहीं किया. इसके पहले वकील शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पंडा ने 17 फरवरी को जमानत के खिलाफ याचिका दी थी. आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 10 फरवरी को जमानत दी थी.

क्या है मामला?

3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. इससे कुछ किसानों की मृत्यु हो गई थी. घटना के दौरान एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी मारे गए थे. साथ ही उग्र किसानों की पिटाई में कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी मृत्यु हुई थी.

कर्नाटक के शिवमोगा में बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या के बाद भारी तनाव : धारा 144 लागू, स्कूल-कॉलेज बंद

वकील शिवकुमार त्रिपाठी ने चीफ जस्टिस एन वी रमना को घटना की जानकारी देते हुए चिट्ठी भेजी थी. इस पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और 17 नवंबर को आदेश पारित किया. इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए एसआईटी का नए सिरे से गठन किया. साथ ही, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार जैन को जांच की निगरानी का जिम्मा सौंप दिया.

अब तक 2 याचिकाएं दाखिल

आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ नई याचिका वकील प्रशांत भूषण के ज़रिए दाखिल हुई है. इसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट ने ज़मानत देते समय अपराध की गंभीरता पर ध्यान नहीं दिया. राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील करनी चाहिए थी. पर उसने भी ऐसा नहीं किया.

यूपी में 23 फरवरी को चौथे चरण का चुनाव: योगी और केंद्र सरकार के कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, जानें सियासी समीकरण ?

इस याचिका से पहले वकील शिवकुमार त्रिपाठी और सी एस पांडा भी मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं. उन्होंने हाई कोर्ट का आदेश निरस्त करने की मांग की है. साथ ही एसआईटी के कामकाज को असंतोषजनक बताया है. अभी सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई नहीं की है.

उत्तर प्रदेश
Copyrights 2021, All Rights reserved to VIBRANT BROADCASTING PVT. LTD. | Website Developed by - Prabhat Media Creations