Skip to content

UP Ministers Portfolio: विभागों के बंटवारे के बाद अब कई मंत्रियों की परीक्षा, काम की कसौटी पर कद!

लखनऊ। किसी को समीकरण का सहारा मिल गया तो किसी के बड़े नाम ने काम बना दिया। चुनाव लड़ना, न लड़ना, हारना-जीतना अलग मसला है। पार्टी ने उपयोगिता समझी और मंत्री बना दिया। बस, अब यही उपयोगिता साबित करनी है। महत्वपूर्ण विभाग पाकर ‘कद्दावर’ कहलाए तमाम मंत्रियों के कद अब काम की कसौटी पर हैं। खास बात यह कि उनकी ‘कापी’ पांच बरस बाद नहीं जांची जानी, बल्कि इसी वर्ष होने जा रहे शहरी निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव सहित निरंतर रिपोर्ट कार्ड तैयार होना है।

काम की कसौटी पर कद

नई  सरकार के मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा सोमवार को हो गया। पहले तो मंत्री बनाए जाने पर विधायकों का कद मापा गया और अब विभागों को कद का पैमाना बना लिया गया है। यह गुणा-भाग राजनीतिक समीक्षकों के लिए तो ठीक है, लेकिन वास्तविकता यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पार्टी नेतृत्व ने नेताओं के नाम और कद पर महत्वपूर्ण विभाग देकर काम की कसौटी रख दी है।

डिप्टी सीएम बने लेकिन विभाग में कद घटा!

इनमें चर्चा का विषय है कि सिराथू से चुनाव हारने के बाद केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री भले ही बना दिया गया है, लेकिन उनसे लोक निर्माण जैसा महत्वपूर्ण विभाग हटा लिया गया है। मगर, देखा यूं भी जाना चाहिए कि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं।

कभी शहरों की पार्टी कही जाने वाली भाजपा ने गांवों में अपनी पकड़ मजबूत की है। 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में निवास करती है, इसलिए केंद्र सरकार की प्राथमिकता में गांव हैं और ग्राम्य विकास विभाग के पास अधिकांशत: केंद्रीय योजनाओं को जमीन पर उतारने का जिम्मा है। ऐसे में योगी सरकार-2.0 में हारने के बावजूद उपमुख्यमंत्री बनाकर केशव को यही विभाग सौंप दिया गया है।

केंद्रीय मंत्री ए के शर्मा को बड़ी जिम्मेदारी मिली

संगठन का कौशल रखने वाले केशव को अब गांवों के विकास में सक्रिय भूमिका निभाकर अपनी प्रशासनिक क्षमता को भी साबित करना होगा। महत्वपूर्ण विभागों की बात करें तो इस क्रम में अरविंद कुमार शर्मा का नाम लिया जा सकता है। सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी शर्मा अब कैबिनेट मंत्री हैं। उन्हें नगर विकास और ऊर्जा जैसे दो बड़े विभाग सिर्फ इसलिए नहीं मिले कि वह पीएमओ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसेमंद अधिकारियों में शामिल रहे हैं। बड़ा कारण यह है कि उनके पास प्रशासनिक अनुभव अच्छा है।

अपने सेवाकाल में योजनाओं को अमलीजामा पहनाकर खुद को साबित किया है। तमाम शहरों में विभागीय कुप्रबंधन की वजह से नगर विकास संबंधी तमाम समस्याएं हैं। ऊर्जा विभाग भी जनता से सीधा जुड़ा है। उन्हें यहां बेहतर काम कर योगी सरकार के सुशासन का संदेश जनता तक पहुंचाना है। खास बात यह कि उनकी पहली परीक्षा भी निकट है। इसी वर्ष नगरीय निकाय के चुनाव होने हैं। उसमें कुछ हद तक उनके कामकाज का आकलन किया ही जा सकता है।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के कंधों पर भी बड़ी जिम्मेदारी

दूसरे उपमुख्यमंत्री बनाए गए ब्रजेश पाठक के कंधों पर जिम्मेदारी होगी कि सीएम योगी के एक जिला, एक मेडिकल कालेज के संकल्प को समय से पूरा कराएं। बेशक, योगी सरकार-1.0 में स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचे को पहले से बेहतर किया गया है, लेकिन गांव-कस्बों के तमाम अस्पतालों में आज भी संसाधनों की कमी है। पाठक चाहें तो यहां साबित कर सकते हैं कि वह सिर्फ ‘ब्राह्मण चेहरा’ नहीं, बल्कि संवेदनशील नेता हैं।

जल शक्ति मंत्री बने स्वतंत्रदेव सिंह को भी बड़ी जिम्मेदारी

प्रदेश में संगठन के मुखिया होने के नाते नाम की महिमा जल शक्ति मंत्री बने स्वतंत्रदेव सिंह के साथ भी जुड़ी है। बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में हर घर नल से जल पहुंचाकर और किसानों के खेतों पर नहरों से सिंचाई का पानी पहुंचाकर उन्हें साबित करना होगा कि वह सरकार में कितने काम के हैं।

इसी तरह लोक निर्माण विभाग पाने वाले जितिन प्रसाद के सामने पहली चुनौती विभागीय कार्यव्यवस्था को ढर्रे पर लाने की होगी। कामचलाऊ विभागाध्यक्ष के भरोसे चल रहे विभाग की व्यवस्थाएं दुरुस्त कर गांव-गांव तक सड़कों की सेहत सुधार कर साबित करना होगा कि वह केंद्र सरकार में मंत्री रहने के अनुभव को अब कितना अमल में ला पाते हैं।


Uncategorized
Copyrights 2021, All Rights reserved to VIBRANT BROADCASTING PVT. LTD. | Website Developed by - Prabhat Media Creations