Skip to content

Qutub Minar Row: कुतुब मीनार कोई पूजा स्थल नहीं… जानिए कोर्ट में ASI ने क्या-क्या कहा ?

नई दिल्ली। देशभर में धार्मिक स्थलों और स्मारकों को लेकर बहस जारी है. ज्ञानवापी के बाद कुतुब मीनार को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. लेकिन सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया.

कश्मीर के बारामूला में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, 3 पाकिस्तानी आतंकी ढेर, एक जवान शहीद

साथ ही ये साफ किया कि कुतुब मीनार कोई पूजा स्थल नहीं बल्कि एक स्मारक है और इसकी मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता है. 9 जून को कोर्ट इस मामले में फैसला सुनाएगा.

इस मामले पर कोर्ट में क्या-क्या हुआ जानिए ?

▪️ कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवताओं की मूर्तियों को पुन: स्थापित करने की याचिका कोर्ट में दायर की गई थी, जिसका एएसआई ने विरोध किया है. एएसआई ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि यहां कोई मंदिर था और कुतुब मीनार पर पूजा की जा सकती है.
▪️ कोर्ट में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश निखिल चोपड़ा ने कहा कि, याचिका से उत्पन्न मुख्य मुद्दा ‘‘उपासना का अधिकार’’ है, और सवाल किया कि कोई भी व्यक्ति ऐसी किसी चीज की बहाली के लिए कानूनी अधिकार का दावा कैसे कर सकते हैं, जो 800 साल पहले हुई है.
▪️ एएसआई ने कहा कि ‘‘केंद्र संरक्षित’’ इस स्मारक में पूजा-अर्चना के मौलिक अधिकार का दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति की दलील से सहमत होना कानून के विपरीत होगा. एएसआई ने यह भी कहा कि कुतुब परिसर के निर्माण में हिंदू और जैन देवताओं की मूर्तियों का दोबारा इस्तेमाल किया गया था.
▪️ एएसआई ने कहा, ‘‘भूमि की स्थिति का किसी भी तरह से उल्लंघन करते हुए मौलिक अधिकार का लाभ नहीं उठाया जा सकता. संरक्षण का मूल सिद्धांत उस स्मारक में कोई नयी प्रथा शुरू करने की अनुमति नहीं देना है, जिसे कानून के तहत संरक्षित और अधिसूचित स्मारक घोषित किया गया है.’’
▪️ एएसआई ने कहा कि ऐसे किसी स्थान पर उपासना फिर से शुरू करने की अनुमति नहीं दी जाती, जहां स्मारक को संरक्षण में लेने के दौरान यह उपासना व्यवहार में नहीं थी. कुतुब मीनार उपासना का स्थान नहीं है और केंद्र सरकार की तरफ से इसके संरक्षण के समय से, कुतुब मीनार या कुतुब मीनार का कोई भी हिस्सा किसी भी समुदाय के उपासना के अधीन नहीं था.
▪️ वहीं दूसरी तरफ दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्ला खान ने एएसआई के महानिदेशक को लिखी चिट्ठी में कुतुब मीनार परिसर में ‘‘प्राचीन’’ कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद में यह दावा करते हुए नमाज की अनुमति देने का अनुरोध किया है कि इसे एएसआई अधिकारियों ने रोका था.
▪️ इस पर सुनवाई के दौरान एएसआई के वकील सुभाष गुप्ता ने कहा कि कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद में फारसी शिलालेख से यह बहुत स्पष्ट है कि उसे 27 मंदिरों के नक्काशीदार स्तंभों और अन्य वास्तुशिल्प से बनाया गया था.
▪️ वकील ने कहा, ‘‘शिलालेख से स्पष्ट है कि इन मंदिरों के अवशेषों से मस्जिद का निर्माण किया गया था. लेकिन कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि मंदिरों को ध्वस्त करके सामग्री मिली थी. साथ ही, यह भी स्पष्ट नहीं है कि उन्हें उसी स्थल से हासिल किया गया था या बाहर से लाया गया था.
▪️ गुप्ता ने कहा कि प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष (एएमएएसआर) अधिनियम के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी स्मारक में उपासना शुरू की जा सके. कानून का उद्देश्य स्पष्ट है कि स्मारक को भावी पीढ़ी के लिए इसकी मूल स्थिति में संरक्षित किया जाना चाहिए. इसलिए, मौजूदा संरचना में कोई भी बदलाव एएमएएसआर अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन होगा और इस तरह इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
▪️ सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दक्षिण भारत में कई ऐसे स्मारक हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है और पूजा नहीं की जा रही है. जज ने पूछा, ‘‘अब आप चाहते हैं कि स्मारक को एक मंदिर में बदल दिया जाए. मेरा सवाल यह है कि आप ऐसी किसी चीज की बहाली के लिए कानूनी अधिकार का दावा कैसे कर सकते हैं, जो 800 साल पहले हुई है.

असम में बाढ़ और भूस्खलन से 25 की मौत, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर लगाया राहत न पहुंचाने का आरोप

Uncategorized
Copyrights 2021, All Rights reserved to VIBRANT BROADCASTING PVT. LTD. | Website Developed by - Prabhat Media Creations