Skip to content

21 सितम्बर से पितृपक्ष आरम्भ, जानें श्राद्ध की सभी तिथियां

लखनऊ, ज्योतिषाचार्य डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी। पितृपक्ष यानी पितरों की पूजा का पक्ष 21 सितंबर दिन मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। श्राद्ध पक्ष हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते है, और आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक रहेंगे।

लौटी रौनक : चारधाम यात्रा ने पकड़ी रफ्तार, अब तक जारी हुए 42 हजार से ज्यादा ई-पास

पितृपक्ष में पितरों का ध्यान और तर्पण विधि की जाती है, जिनकी वजह से हम इस दुनिया में हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, पितृगण देवताओं के समान ही आशीर्वाद और शाप देने की क्षमता रखते हैं। इनकी प्रसन्नता से परिवार में उन्नति और सफलता आती है और नाराजगी से परिवार में कोई न कोई परेशानी बनी रहती है।

अंतिम श्राद्ध 6 अक्‍टूबर को होगा

पितृ पक्ष इस बार 21 सितंबर से आरंभ हो रहे हैं और अंतिम श्राद्ध 6 अक्‍टूबर को होगा। 20 सितंबर को पोष्ठपदी पूर्णिमा का श्राद्ध आरंभ हो जाता है। पूर्णिमा के दिन अगस्त मुनि का तर्पण करके उनको जल दिया जाता है और इसके बाद प्रतिपदा तिथि यानी आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की पहली तिथि यानी की 21 सितंबर से पितरों को जल दिया जाएगा।

वृष, कर्क, मिथुन और सिंह राशि वाले न करें ये काम, वरना बढ़ सकती है परेशानी, जानें अपना राशिफल और शुभ मुहूर्त

इसमें किसी भी पक्ष में जिस तिथि को व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनके नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोज करवाया जाता है, जबकि पूरे पक्ष में उनके नाम का जल दिया जाता है। आइए जानते हैं कि किस दिन कौन सी तिथि का श्राद्ध होगा और उसका महत्व क्या है ?

संपूर्ण पक्ष में श्राद्ध की तिथियां

  • पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर
  • प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर
  • द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर
  • तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर
  • चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर
  • पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर
  • षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर
  • सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर
  • अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर
  • नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर
  • दशमी श्राद्ध – 1 अक्टूबर
  • एकादशी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
  • द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर
  • त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
  • चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर
  • अमावस्या श्राद्ध- 6 अक्टूबर

नोट- शास्त्रों में बताया गया है कि, चतुर्दशी तिथि को केवल अपमृत्यु यानी अप्राकृतिक रूप से जिनकी मृत्यु हुई हो, केवल उन लोगों का ही श्राद्ध करने का विधान है।

उत्तर प्रदेश में अपराध दर 2013 के बाद सबसे कम: एनसीआरबी डेटा

अमावस्या को सर्वपितृ श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन अमावस्या तिथि में मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के अलावा जिनकी मृत्यु की तिथि का पता नहीं हो, जिनका श्राद्ध पक्ष में मृत्यु तिथि पर श्राद्ध नहीं हुआ हो उनका भी श्राद्ध कर्म किया जा सकता है।

धर्म और राशि
Copyrights 2021, All Rights reserved to VIBRANT BROADCASTING PVT. LTD. | Website Developed by - Prabhat Media Creations