Skip to content

सीएम योगी ने पूर्णिमा पर गुरु को अर्पित किया रोट का प्रसाद, आशीर्वाद किया अर्जित

योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले महायोगी गुरु गोरखनाथ की पूजा कर उन्हें ‘रोट’ का महाप्रसाद चढ़ाया। ये प्रसाद आटा और गुड़ को मिलाकर बनाया जाता है। इसके बाद अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पूजा करके आशीर्वाद लिया। इसके बाद देव और समाधियों की खास पूजा की। गोरखनाथ मंदिर में सुबह 6.30 बजे से विशेष आरती हुई, जिसमें विभिन्न राज्यों से आए नाथ योगी, संत, महात्मा और गृहस्थ शिष्य भी शामिल हुए। यहां उन्हें गोरक्षपीठाधीश्वर का आशीर्वाद भी मिला। उन्होंने ने कहा कि व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। आशावादी लोग हमेशा सबसे कठिन समय में भी समाधान खोजने का प्रबंधन करते हैं। दूसरी ओर, नकारात्मक लोगों की हर चीज पर पकड़ होती है।

मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी के मुताबिक दोपहर से गोरखनाथ मंदिर में भोज शुरू हो गया। गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं। द्वारिका तिवारी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर 5 हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए हैं।

गुरु पूर्णिमा पर मंदिर परिसर में सुरक्षा के काफी सख्त इंतजाम किए गए हैं। लेकिन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षा कर्मियों और अधिकारियों को निर्देशित किया है कि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की गाड़ियों की पार्किंग के भी इंतजाम किए गए हैं।

गुरु परंपरा के लिए नाथ पंथ की विश्व प्रसिद्ध गोरक्षपीठ बेमिसाल है। पीढ़ी दर पीढ़ी गोरक्षपीठाधीश्वरों ने अपने गुरु से प्राप्त लोक कल्याण की परंपरा को विस्तारित किया है। वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इसे निरंतर ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं।

गुरु गम्य मार्ग है। इस लिहाज से गोरक्षपीठ और गुरु पूर्णिमा का अटूट नाता है। गुरु-शिष्य परंपरा इस पीठ के मूल में है। गुरु परंपरा से ही नाथ परंपरा आगे बढ़ी है। यही वजह है कि गोरक्षपीठ गुरु परंपरा के प्रतीक के तौर पर पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित है। हर काल में इस परंपरा को कायम रख पीठ ने कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। शिवावतारी भगवान गोरक्षनाथ ने योग को लोक कल्याण का माध्यम बनाया तो उनके अनुगामी नाथ पंथ के मनीषियों ने लोक कल्याणकारी अभियान को गति दी।

गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ थे। लोक कल्याण के लिए उन्होंने शिक्षा को सबसे सशक्त माध्यम बनाते हुए 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। ब्रह्मलीन महंत ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपने महाराणा प्रताप महाविद्यालय का एक भवन भी दान में दे दिया था।

उनके समय में ही लोगों को हानिरहित व सहजता से उपलब्ध चिकित्सा सुविधा के लिए मंदिर परिसर में आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की भी स्थापना हुई थी। अपने गुरु द्वारा शुरू किए गए इन प्रकल्पों को अपने समय में उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने विस्तार दिया। शिक्षा, चिकित्सा, योग सहित सेवा के सभी प्रकल्पों को नया आयाम दिया।

उत्तर प्रदेश
Copyrights 2021, All Rights reserved to VIBRANT BROADCASTING PVT. LTD. | Website Developed by - Prabhat Media Creations