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साल का पहला चंद्रग्रहण, क्या करें, क्या ना करें? जानिए

साल का पहला चंद्रग्रहण वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन यानी 5 मई 2023 शुक्रवार को लगने जा रहा है। चंद्रग्रहण को वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से अहम माना गया है। वैज्ञानिक दृष्टि से जब सूर्य और धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रग्रहण लगता है जबकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रग्रहण के दौरान राहु चंद्रमा को ग्रसित कर देते हैं। 05 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण रहेगा।

चंद्र ग्रहण की अवधि-:
इस चंद्रग्रहण की अवधि कुल 4 घंटे 18 मिनट की रहने वाली है। रात 8 बजकर 44 मिनट से चंद्रग्रहण शुरू होगा और रात के 1 बजकर 2 मिनट तक चंद्रग्रहण रहेगा।

क्या इस ग्रहण का सूतक काल मान्य है.?

05 मई को लगने जा रहे चंद्रग्रहण ऐसा चंद्रग्रहण है जिसमें चंद्रमा का कोई भी भाग कटा हुआ दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसे चंद्रग्रहण न कहकर उपछाया चंद्रग्रहण कहा जा रहा है। उपछाया चंद्रग्रहण को लेकर शास्त्रों में बताया गया है कि इसमें चंद्रमा का पथ केवल मलिन होता है यानी चंद्रमा की रंग मलिन हो जाता है।लेकिन, चंद्रमा कटता हुआ दृश्य नहीं होता है इसलिए इसमें सूतक का विचार नहीं करना होता है। यही वजह है कि 5 मई के चंद्रग्रहण में सूतक काल का विचार नहीं किया जाएगा।

कहां-कहां दिखाई देगा चंद्रग्रहण.?

भारत में यह उपछाया चंद्रग्रहण दिखाई देगा। भारत के अलावा यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, महासागर, हिंद महासागर, नॉर्थ पोल पर दृश्य होगा।

उपछाया चंद्रग्रहण क्या होता है.?
जब ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करती है जिसे चन्द्र मालिन्य कहते हैं इंग्लिश में इसे (Penumbra)कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की असली छाया में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तो तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन, कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल जाता है और पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश नहीं करता है। इसलिए उपछाया चंद्रग्रहण में चंद्रमा का बिंब बस धुंधला पड़ता है और पूरी तरह से काला नहीं होता है। इसलिए इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहा जाता है।

क्या 5 मई के चंद्र ग्रहण पर ग्रहण के नियमों का पालन करना चाहिए..?

इस चंद्रग्रहण का किसी तरह के नियमों का पालन करना आवश्यक नहीं है। इसमें सूतक काल भी मान्य नहीं है।

इस चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को किसी तरह कि चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं और ना ही किसी तरह की अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

वैसे तो 5 मई को लगने वाले चंद्रग्रहण के किसी भी तरह के नियमों के पालन की आवश्यकता नहीं है, फिर भी यदि आप कोई नियमों का पालन करना चाहते हैं तो रात 8:30 बजे से पहले पहले पूजा- पाठ व भोजन इत्यादि कर लें और चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ समय शांति से बैठ कर भगवान के पवित्र नामों का जप कर सकते हैं।।

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