
उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी भले ही विजय का सेहरा अपने सर ना बांध पाई हो,लेकिन नगर निगम, नगर पंचायत सहित कई सीटों में वो बीजेपी के साथ सीधी फाइट करती हुई नजर आई. बहुत जगह पार्टी के अपने सांसद और विधायक होने के बावजूद पार्टी का प्रदर्शन शर्मनाक रहा.पार्टी के जिन कद्दावर नेताओं के ऊपर अखिलेश यादव ने भरोसा जताया था, वो भी पार्टी की नैया पार नही लगा पाए, उनके खराब प्रदर्शन से पार्टी को धक्का लगा,नतीजा ये हुआ कि पार्टी को कई सीटों में तीसरे और चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा.
इटावा में बीजेपी के जीत के सपने को शिवपाल के बेटे आदित्य यादव ने पूरा नहीं होने दिया, और क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का परचम लहराया, जबकि ऐन वक्त में इटावा नगर पालिका से सपा प्रत्याशी का टिकट बदलने के बावजूद पार्टी ने वो सीट अपने खाते में डाली..इतना ही नहीं ये आदित्य यादव की राजनीतिक कौशलता ही थी कि इटावा में उन्होंने बीजेपी को कोई खाता ही नहीं खोलने दिया, जिले की तीनों नगरपालिका सीट पर सपा का कब्जा रहा, तीनों नगर पंचायत में सपा दूसरे नंबर पर रही, इकदिल नगर पंचायत में तो हार का अंतराल काफी कम रहा,
हालांकि अभी तक आदित्य यादव ने विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है लेकिन चुनाव प्रबंधन में उनकी योग्यता का अनुमान इटावा में नगर निकाय चुनाव से लगाया जा सकता है इससे पहले भी अपनी भाभी डिंपल यादव के संसदीय चुनाव में वे पिता शिवपाल यादव के साथ मजबूती से खड़े रहे. वर्तमान में ICA के डायरेक्टर का पद संभाल रहे आदित्य यादव देश के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने लगातार दो बार यह चुनाव जीता है, सोशल मीडिया में एक्टिव रहने वाले मृदभाषी आदित्य यादव से जब भी चाचा-भतीजे (शिवपाल-अखिलेश) के मनमुटाव के बारे में मीडिया द्वारा सवाल किया जाता तो वो मुस्करा के टाल देते थे. 10 जून को आदित्य का जन्मदिन है, और इस जन्मदिन से पहले ही इटावा निकाय चुनाव में सपा की बंपर जीत ने समाजवादी पार्टी को जलसा करने में मजबूर कर दिया है. जब पार्टी के सभी धुरधंर अपने अपने मोर्चों पर असफल रहे,ऐसे में इटावा की ये जीत पार्टी के लिए खास महत्व रखती है.